10 दिन, 10 शहर: उत्तराखंड की कुमाऊँ घाटी से रूबरू कराएगी ये परफेक्ट गाइड
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कुमाऊँ घाटी अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, नैनीताल, पिथौरागढ़ और उधमसिंह नगर जैसे खूबसूरत जिलों को जोड़ती है – इन सभी जगहों पर हिल स्टेशनों की अधिकता है, कुछ जगहें तो हाल के दिनों में बेहद लोकप्रिय हुई हैं लेकिन अब भी कुछ ऐसी जगहें मौजूद हैं जिसे एक्स्प्लोर करने की ज़रूरत है। तो आप भी इस यात्रा के बारे में जान लें और सही वक्त आने पर आप अपने कैमरे, और अपने दोस्तों को तैयार करें, अपनी कार में चिप्स और कोला रखें और विशाल पहाड़ियों, देवदार के जंगलों से होते हुए आसमान को निहारते, तेज़ हवा के झोंकों से लड़ते हुए एक जबरदस्त और रोमांचकारी यात्रा के लिए निकल सकते हैं!
कुमाउँ घूमने के लिए रूट
हमारी यात्रा दिल्ली से शुरू होती है। सात घंटे और 305 कि.मी. की दूरी तय करने के बाद हम उत्तराखंड के गाँवों वाले पंगोट पहुँचे। हम अगले एक घंटे के बाद अल्मोड़ा शहर में प्रवेश करते हैं और NH309A से होते हुए बिनसर की प्राचीन घाटियों में पहुँच जाते हैं। शेराघाट और बेरीनाग से होते हुए हम मुनसियारी पहुँचते हैं और फिर पिथौरागढ़ जिले की ओर बढ़ते हैं। यहाँ कुमाऊँ के बागेश्वर जिले में कौसानी से दो घंटे की दूरी पर चौकोरी स्थित है। इसके बाद मुक्तेश्वर आता है और फिर रानीखेत, जहाँ से हम वापस दिल्ली की ओर लौट जाते हैं।
ये कुमाऊँ के रोड ट्रिप के लिए बेहतरीन रूट है:
दिल्ली – पंगोट – अल्मोड़ा – बिनसर – शेरघाट – बेरीनाग – मुनसियारी – चौकोरी – कौसानी – मुक्तेश्वर – रानीखेत – दिल्ली
यात्रा कार्यक्रम
यह 10 दिनों तक चलने वाली रोमांचक यात्रा है:
Day-1 पंगोट
नैनीताल से लगभग 15 कि.मी. दूर यह एक शांत शहर है जो कि आपके लिए एकदम ठीक रहेगा, अगर आप नैनीताल के पर्यटन स्थलों से बचना चाहते हैं! पंगोट के रास्ते में स्नो व्यू पॉइंट और किलबरी से होकर आप चाइना पीक रेंज से गुजरेंगे। ये इलाके घने जंगलों और पक्षियों की लगभग 580 प्रजातियों का निवास स्थान है। अपनी कार की खिड़कियों को खोलें, और एक स्लैटी-ब्लैक फोर्किटेल या हिमालयन ग्रिफन को हैलो कहें, वाकई यादगार नज़ारा आपके सामने होगा।
सड़क पर बीता समय: 6 घंटे 33 मिनट
दूरी: 296 कि.मी.
ख़ास अनुभव: वादियों में सैर करने के लिए छिपी हुए पगडंडियों से होते हुए एक स्फूर्तिदायक सैर करें ताकि आप आसपास के नज़ारों को अपनी आँखों में कैद कर सकेंगे। नैनीताल और उसके आस-पास के घरों के शानदार दृश्य के लिए अयारपट्टा पहाड़ियों पर स्थित टिफिन टॉप के सामने बड़ा पत्थर के पास श्री अरबिंदो आश्रम के हिमालयन सेंटर पर जाएँ, जहाँ कुछ घंटों के लिए पूर्ण शांति का अनुभव करें। अगर आप कुछ स्थानीय हस्तशिल्प के सामान घर ले जाना चाहते हैं तो पहाड़ी पर स्थित स्टोर पर जाएँ; खाना खाने के लिए ‘द कंट्री किचन’ की तरफ जाएँ जहाँ आपको कुछ अच्छा और स्वादिष्ट खाना खाने को मिलेगा।
Day 2- अल्मोड़ा
नैनीताल, रानीखेत और शिमला के ब्रिटिश द्वारा विकसित हिल स्टेशनों के ठीक उलट अल्मोड़ा पूरी तरह से कुमाऊँ के रहने वाले भारतीयों द्वारा बसाया गया था। आसपास ओक और रोडोडेंड्रोन के घने जंगलों के साथ, लाल और हरे रंग के टिन-छत के घरों वाले इस शहर में आप प्रवेश करते हैं।
सड़क पर बीता समय: 4 घंटे
दूरी: 104 कि.मी.
ख़ास अनुभव: अपने दिन की शुरुआत बिनेश्वर मंदिर की यात्रा के साथ करें; फिर जागेश्वर की ओर बढ़ें, जहाँ प्रसिद्ध शिव मंदिर देख सकते हैं; अल्मोड़ा चिड़ियाघर में हिरणों के साथ चलें; अल्मोड़ा के प्रसिद्ध बाल मिठाई और सिंगौरी पर टूट पड़ें; दोपहर के भोजन के लिए जोशजू’स में जाएँ।
Day-3-बिनसर
रास्ते में जब बढ़ते हैं तो कदम-कदम पर आपको सुहानी और पर्वतीय हवा मन रोमांचित करती जाती है और इसी के बीच बसा है बिनसर। स्थानीय रूप से ये झंडी धार के रूप में जाना जाता है, बिनसर 2,412 मीटर की ऊँचाई पर पड़ता है और जैव विविधता वाला क्षेत्र है। यहाँ चारों तरफ नज़र घुमाने पर देखेंगे कि सड़क के दोनों तरफ अंतहीन जंगली फूलों वाले क्षेत्र हैं। जहाँ-तहाँ रिजॉर्ट देखने को मिलता है। आप बिनसर से जाने के बाद भी इन नज़ारों को लम्बे समय तक याद रखेंगे।
सड़क पर बीता समय: 7 घंटे
दूरी: 198 कि.मी.
ख़ास अनुभव: जीरो पॉइंट पर सूर्योदय को देखें, और केदारनाथ, शिवलिंग, त्रिशूल तथा नंदादेवी चोटियों को जी भर निहारें; बिनसर के वन्यजीव अभयारण्य में टहलते हुए कस्तूरी मृग, तेंदुए, काले भालू और अन्य जानवरों को विचरण करते देखें; प्राचीन चितई मंदिर में जाकर भगवान शिव की पूजा करें; सिसुनाक साग में जाकर लोकल डिश का आनंद लें; ग्रांड ओक मैनर में कुमाऊँनी थाली खाएँ।
Day-4 मुनस्यारी
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मुनसियारी स्थित है। बर्फ से ढकी चोटियों की पंक्तियों के साथ, शहर 2,298 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। पर्यटकों में यह ‘लिटिल कश्मीर’ के रूप में जाना जाता है जो कि जोहर घाटी का प्रवेश द्वार है और तिब्बत की ओर जाने वाले प्राचीन नमक मार्ग पर स्थित है।
सड़क पर बीता समय: 6 घंटे 30 मिनट
दूरी: 185 कि.मी.
ख़ास अनुभव: अगर आप यात्रा को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, तो मिलम और रलम ग्लेशियरों तक ट्रेक करें; दरकोट गाँव की ओर बढ़ें और पश्मीना शॉल और स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली जड़ी-बूटियाँ; सड़क के किनारे बेहतरीन चित्रों के लिए डार्ककोट – मदकोट – जौलजीबी तक जाएँ जो प्राचीन गोरी गंगा नदी के किनारे अवस्थित है; बिरथी झरने को देखने के लिए कुछ घंटे अलग से रखें।
Day-5 चौकोरी
घने ओक के जंगलों में गहरे बसे, पिथौरागढ़ जिले की चौकोरी नंदादेवी, नंदा कोट और पंचाचूली की विशाल चोटियों पर स्थित है। यह शहर मूल रूप से फलों के बागों, चाय बागानों और कुछ सौ मंदिरों से मिलकर बना है। पूर्व में महाकाली नदी से घिरा चौकोरी काफी आकर्षक सैरगाहों से सुसज्जित है।
सड़क पर बीता समय: 3 घंटे 36 मिनट
दूरी: 97 कि.मी.
ख़ास अनुभव: बेरीनाग के पास नाग देवता मंदिर पर जाएँ; थाल और घाट नदियों के पार राफ्टिंग करें; धरमगढ़ के जंगल में जाएँ और पक्षीयों की चहचहाने के स्वर सुनें; खास प्दार और एक-एक प्रकार के फल के पकोड़े पर दावत।
Day-6 पाताल भुवनेश्वर
चौकोरी लौटने से पहले पाताल भुवनेश्वर की एक दिन की यात्रा की योजना बनाएँ। यहाँ के लाइमस्टोन गुफा मंदिर का जिक्र पौराणिक कथाओं में भी मिलता है। कहा गया है कि इस एक परिसर में भगवान शिव से लेकर 33 करोड़ अन्य हिंदू देवी-देवताओं का निवास है। बता दें कि पाताल भुवनेश्वर केवल एक गुफा नहीं है, बल्कि एक गुफा के भीतर गुफाओं की एक शृंखला है। 100 सीढ़ियों की एक डाउनहिल चढ़ाई आपको एक संकरी गुफा तक ले जाएगी जो गर्भगृह तक जाती है, जिससे आपको ऐसा महसूस होगा कि आपने पृथ्वी के बहुत केंद्र तक पहुँच गए हैं।
सड़क पर बीता समय: 2 घंटे 37 मिनट
दूरी: 75 कि.मी.
Day-7 कौसानी
कौसानी एक बेहद शांत और सुन्दर जगहों में शुमार है। यहाँ पहुँचते ही फलों से लदे हुए बाग और देवदार के जंगलों से झाँकता सूरज आपका स्वागत करता है। यहाँ जंगलों को रंग बदलते और हर मोड़ पर मुड़ते देखा जा सकता है। आपको पंचचुली चोटी के शानदार दृश्य अभिवादन करते मिलते हैं।
सड़क पर बीता समय: 2 घंटे 50 मिनट
दूरी: 85 कि.मी.
ख़ास अनुभव: रुद्रधारी फॉल तक ट्रेक और इसकी आसपास की गुफाओं में घूमना; इस 5 कि.मी. के छोटे ट्रेक के दौरान पिननाथ मंदिर देखें; ग्वालदम गाँव के सेब के बागों को देखें; चाय के एक शानदार कप के लिए कौसानी टी एस्टेट पर जाएँ; शाम को 7:30 बजे, हिल क्वीन के टेलीस्कोपिक व्यू पॉइंट पर लाइव प्लेनेट शो देखें।
Day-8 मुक्तेश्वर
घुमावदार अन्नपूर्णा पीक की छाया में बसा मुक्तेश्वर आपको लकड़ी के कॉटेज और पिकेट बाड़ की पंक्तियों से भरा हुआ। ड्राइव करते हुए आप देवदार के जंगलों, पेड़ों की छाया, चरते मवेशियों, सदियों पुराने कुमाउनी घरों की पंक्तियों को पीछे छोड़ते जाते हैं जो कि अब हेरिटेज होटल और रिसॉर्ट में तब्दील हो चुके हैं।
सड़क पर बीता समय: 3 घंटे 30 मिनट
दूरी: 102 कि.लो.
ख़ास अनुभव: ‘चौली की जाली’ की ओवरहैंगिंग चट्टानों पर जाएँ; 350 साल पुराने भगवान शिव के मुक्तेश्वर धाम मंदिर में दर्शन करें; ढाकुना झरने पर एक पिकनिक लंच की योजना बनाएँ; भालू गाड़ जलप्रपात की एक छोटी सी यात्रा आपको रेड बिल्ड ब्लू मैगपाई, ग्रे ट्रीपी और कुछ अन्य आश्चर्यजनक पक्षियों वाले मैदान में ले जाएगी; यादगार के लिए कार्बनिक जाम, चटनी और स्क्रब के लिए सितला गाँव में किलमोरा की दुकान पर जाएँ।
Day-9 रामगगढ़
भुवाली-मुक्तेश्वर रोड पर 1,789 मीटर की ऊँचाई पर स्थित रामगढ़ कुछ सौ जीवंत बागों (इसलिए मोनिकर – ‘कुमाऊँ का फल का कटोरा’) का घर है। कभी ब्रिटिश सेनाओं की छावनी हुआ करता था लेकिन बाद में इस शहर ने लोकप्रिय साहित्यकारों को आकर्षित किया, उन्हें पनाह दी।
सड़क पर बीता समय: 2 घंटे 35 मिनट
दूरी: 70 कि.मी.
ख़ास अनुभव: सेब और आड़ू के बगीचे में इत्मीनान से टहलें; नाथूखान की रसीली घाटी से होकर जाएँ; मधुबन (श्री अरबिंदो आश्रम) पर एक या दो ध्यान सत्र में भाग लें; रामगढ़ में सबसे अच्छी चाय के लिए जोशी कैफे का रुख करें; बता दें कि रामगढ़ में फैंसी रेस्तरां की कमी है, लिहाजा सड़क किनारे मिलने वाले मोमोज़ इसकी भरपाई कर देते हैं।
Day-10 रानीखेत
देवदार के झालरवाले पगडंडियों पर टहलते हुए आप मशगूल हो जाते हैं, रानीखेत 1,869 मीटर की ऊँचाई पर अवस्थित है। राजाओं के ज़माने के शानदार लेकिन जीर्ण भवन, दूर-दूर तक फैले बेर के बाग, पाइन से सजी दुकानें आपको लुभाती हैं। नेचर के बीच जंगलों में घूमने के बाद हम दिल्ली की ओर रुख करते हैं।
सड़क पर बीता समय: 2 घंटे
दूरी: 55 कि.मी.
ख़ास अनुभव: मध्ययुगीन कत्यूरी वास्तुकला की बारीकियों को देखें, माँ दूनागिरि मंदिर जाएँ; उपत और कालिका के विशाल गोल्फ कोर्स पर जाएँ; चौबटिया की ओर जाते हुए फलों को बगीचों में घूमें और उत्तराखंड के कुछ मीठे फल घर के लिए भी रख लें; प्राचीन मूर्तियों के लिए द्वाराहाट जाएँ; रोडोडेंड्रोन फूलों से बने ललचाने वाले जूश पीना ना भूलें।
कब जाएँ कुमाउँ
अक्टूबर से लेकर जनवरी के महीने तक कुमाऊँ का क्षेत्र अपने सबसे सुंदरतम स्थिति में होता है। अक्टूबर तक छिटपुट बारिश होती है, जिससे सर्द रातें शुरू हो जाती हैं और मध्य नवंबर तक इन पहाड़ी शहरों में सर्दियों का स्वागत किया जाता है। यदि आप भाग्यशाली हैं, तो आप मुनसियारी, चौकोरी और कौसानी के रास्ते में ड्राइविंग करते समय एक-दो बार बर्फबारी का अनुभव भी ले सकते हैं। वैसे कुमाऊँ आप पूरे साल ही घूमने के लिए आ सकते हैं और नज़ारे का आनंद ले सकते हैं।
(Tour end with sweet memories)
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